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सम्यक्त्व पराक्रम
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गुरु ने कहाः-हे भंद्र ! सूत्र की आराधना करने से जीवात्मा का अज्ञान दूर होता है और अज्ञानरहित
जीव कभी भी कहीं पर भी दुःख नहीं पाता है। ।, (२५) शिष्य ने पूंछा:-हे पूज्य ! मन की एकाग्रता से जीव
को क्या लाभ है ? - . गुरु ने कहा:-हे भद्र ! मन, की एकाग्रता से जीव . अपनी चित्तवृत्ति का निरोध करता है ( मन को अपने
, वश में रखता है)। (२६) शिष्य ने पूंछाः-हे पूज्य !' संयमधारण करने से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहाः-हे भद्र! जो जीव संयमधारण करता है उसे अनास्रवत्व (आते हुए कर्मों का बंध'
होना ) प्राप्त होता है। (२७) शिष्य ने पूंछा:-हे पूज्य ! शुद्धतप करने से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहाः-हे भद्र ! शुद्धतप करने से जीवात्मा अपने पूर्वसंचित कर्मों का क्षय कर मोक्षलक्ष्मी की
प्राप्ति करता है। क) शिष्य ने पूंछाः-हे पूज्य ! सर्व कर्मों के विखरने से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहाः-हे भद्रे ! कर्मों के विखर जाने से जीवात्मा सर्व प्रकार की क्रियाओं से रहित हो जाता है और ऐसा जीव ही अन्त में सिद्ध, बुद्ध, तथा मुक्त होकर