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खलुकीय
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अपंणता दिखाई जाती है वह यद्यपि उपर से परतंत्रता रूप मालम होती है किन्तु वह वास्तव में स्वतन्त्रता है। ऐसी स्वतन्त्रता का उपासक ही आरममार्ग में आगे बढ़ सकता है।
ऐसा में कहता हूँ। इस प्रकार 'खलंकीय' नामक सत्ताईसवां अध्ययन समाप्त हुआ।