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समाचारी
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समाचारी माचारी का अर्थ है सम्यक् दिनचर्या । अर्थात् शरीर, इन्द्रियां तथा मन- ये साधन जिस उद्देश्य से मिले है उस उद्देश्य को लक्ष्य में रखकर उन साधनों का सदुपयोग करना - यही चर्या का अर्थ है ।
५ रात दिन मन को उचित प्रसंग में लगाये रखना और निरंतर, उसी एक कार्य में जुटे रहना यही साधक की दिनचर्या है ।
ऐसा करने से पूर्व जीवनगत दुष्ट प्रकृतियों को वेग नहीं मिलता और नित्य नूतन पवित्रता प्राप्त होती रहने से ज्यों २ परंपरागत दुष्ट भावनाएं निर्बल होकर अन्त में झड़ती जाती है त्यों त्यों मोक्षार्थी साधक अपने आत्मरस के घंट अधिकाधिक पी पीकर अमर बनता जाता है ।
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इस प्रकरण में त्यागी जीवन की समाचारी का वर्णन किया है। त्यागी जीवन सामान्य गृहस्थ 'साधक के जीवन की अपेक्षा अधिक ऊंचा, सुन्दर तथा पवित्र होता है इससे उसकी दिनचर्या भी उतनी ही शुद्ध तथा कड़ी हो - यह 'स्वाभाविक ही है ।
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