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________________ यज्ञीय २८३ - ANNA AAAAAAAA सच्चा ब्राह्मण कौन है ? (१९) इस लोक में जो शुद्ध अग्नि की तरह पापरहित होने से __ पूज्य हुआ है उसीको कुशल पुरुष 'ब्राह्मण' मानते हैं और इसीलिये हम भी उसे ब्राह्मण कहते हैं। (२०) जो स्वजनादि ( कुटुम्ब ) में आसक्त नहीं होता और संयम धारण कर ( उसके कष्टों के कारण) शोक नहीं करता तथा महापुरुषों के वचनामृतों में आनन्दित होता है, उसीको हम 'ब्राह्मण' कहते हैं। (२१) जिस प्रकार शुद्ध हुआ सोना कालिमा तथा किट्टिमा आदि मैलों से रहित होता है इसीतरह जो मल तथा पाप से रहित है; राग, द्वेष, भय आदि दोषों से परे (दूर ) है उसीको हम 'ब्राह्मण' कहते है। (२२) जो सदाचारी, तपस्वी तथा दमितेन्द्रिय है, तथा जिसने उग्र तपस्या द्वारा अपने शरीर के रक्त मांस सुखा डाले हों कृशगात्र हो तथा कपायों के शांत होने से जिसका हृदय शांति का सागर हो रहा हो उसी को हम ब्राह्मण (२३) जो त्रस तथा स्थावर जीवों की मन, वचन तथा काय से किसी भी प्रकार हिसा नहीं करता उसीको हम 'ब्राह्मण' कहते हैं। (२४) जो कोब, हास्य, लोभ अथवा भय के वशीभूत होकर कभी भी असत्य वचन नहीं बोलता उसीको हम 'ब्राह्मण' कहते हैं।
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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