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________________ २३४ उत्तराध्ययन सूत्र हुए दुःखी तथा मृत्यु के भय से पीड़ित पशु पक्षियों को उनले सामने देखा । . टिप्पणीय जानवर विवाह में आये हुए मेहमानों के नीमन के लिये रखे गये थे क्योंकि उन दिनों बहुत से अजैन क्षत्रिय राजा मांसा. हार करते थे। (१५) जिनके मांस से जीमन होने वाला था ऐसे मत्यु के पास पहुँचे हुए उन प्राणियों को देख कर वे बुद्धिमान नेमि नाथ सारथी को लक्ष्य करके इस प्रकार बोले:(१६) सुख के इच्छक इन प्राणियों को वाड़े और पिंजराओं में क्यों वन्द कर रक्खा है ? (१७) यह प्रश्न सुन कर सारथी ने कहा-"प्रभो! इन सब निर्दोष प्राणियों को आपके विवाह में पाये हुये लोगों को जिमाने के लिये यहां चन्द कर रक्खा है।" (१८) "आपके विवाह के कारण इतने जीवों की हिंसा "-यह वचन सुन कर सय प्राणियों पर असीम अनुकम्पा के धारक बुद्धिमान नेमिराज बड़े ही सोचविचार में पड़ गये। (१९) यदि केवल मेरे ही कारण से ये असंख्य निदोप जीव मारे जाते हों तो ऐसी वस्तु मेरे लिये इस लोक तथा परलोक दोनों में ही लेशमात्र भी कल्याणकारी नहीं है। टिप्पणी अनुकम्पा वृत्ति के दिव्य प्रभाव ने उनके हृदय में हलचल (सादी। सबसे पहिले तो उनको यह विचार हुआ कि विवाह जैसी रखकरिया में मन ऐसी घोर हिंसा ! फ ! ज़रा मे . मक्ष कभी गर्विष्ट पामर (E दूसरों
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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