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रथनेमीय
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दिया जाता था। इससे ऐसा मालूम होता है कि उग्रसेन ने यह
एक नये प्रकार की मांग की थी। (९) नेमिराज को नियत तिथि पर, उत्तम औषधियों (सुगन्धित
उबटनों) का लेप किया गया और अनेक मंगलाचारों के साथ उनके माथे पर मंगल तिलक भी लगाया गया। इस के बाद उन्हे उत्तम प्रकार के वस्त्र पहिनाये गये तथा उन्हें हार, कराठा, कंकण आदि रत्न जटित उत्तम प्रकार
के आभूषणों से विभूषित किया। (१०) वासुदेव राजा के ४२ लाख हाथियों में से सबसे बड़े
मदोन्मत्त गन्धहस्ति पर वे आरूढ़ हुए और जैसे मस्तक पर चूडामणि शोभित होता है वैसे ही उस हाथी पर
आरूढ वे शोभित होते थे। १) उनके सिर पर उत्तम छत्र लटक रहा था और उनके दायें
वायें दोनों तरफ चंवर ढुल रहे थे और दश, दशाह आदि
सब यादव उनको चारों तरफ से घेरे हुए थे। (१२) उनके साथ में हाथी, घोड़े, रथ तथा पैदल इन चारों
प्रकारों की सुव्यवस्थित सुसज्जित सेना थी। उस समय भिन्न भिन्न बाजों के दिव्य तथा गगनस्पर्शी शब्द से
तमाम आकोश गूंज रहा था। (१३) इस तरह सर्वोत्तम समद्धि तथा शरीर की उत्तम कान्ति से
शोभित वे यादवकुलभूषण नेमिश्वर अपने घर से विवाह
के लिये बाहर निकले। (१४) अपने श्वसुर गृह के लग्न मण्डप में पहुँचने
ही रास्ते में जाते जाते वाट नशा ।' की.