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________________ २२२ उत्तराध्ययन सूत्र -- -- - - भगवान वोले(१) चम्पा नाम की नगरी में पालित नामक एक व्यापारी रहता था। वह जाति का वणिक और महाप्रभु भगवान महावीर का श्रावक शिष्य था । (२) यह श्रावक निर्मन्थ प्रवचनों (शास्त्रों) में बहुत कुशल पंडित था। एक बार व्यापार करने के लिये वह जहाज द्वारा पिहुण्ड नामक नगर में आया । टिप्पणी-इस पिहुण्डनगर में वह बहुत वर्षों तक रहा था और वहाँ उसका व्यापार भी खूब चमक उठा था। तथा वहाँ के एक वणिक की स्वरूपवती कन्याके साथ उसने अपना विवाह किया था। अन्य ग्रन्थों में यह कथा बड़े विस्तार के साथ वर्णित है। जिनको जानना हो चे उन्हें पढ़ लेवें । यहाँ तो केवल प्रसंग सम्बन्धी भाग ही दिया है। (३) पिहुंड नगर में व्यापारी तरीके रहते हुए उसके साथ किसी दूसरे वणिक ने अपनी पुत्री व्याह दी। बहुत दिनों के बाद वह गर्भवती हुई और उस गर्भवती पत्नी को साथ ले कर अब वह व्यापारी, बहुत दिन पीछे देखने की इच्छा से अपने देश आने के लिये रवाना हुआ। ) वे जहाज द्वारा पा रहे थे। पालित की आसन्न प्रसवा स्त्री ने समुद्र में ही पुत्र प्रसव किया और समुद्र में पैदा '. होने के कारण उस बालक का नाम समुद्रपाल रक्खा गया था। ने नवजात पुत्र तथा स्त्री के साथ सकुशल चंपा
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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