________________
संयतीय
१८३
~
~
~
~
~
~
अपने पुत्र को राज्य देकर संयम ग्रहण किया था तथा कर्मों का नाश किया था। ८) समस्त लोक में अपार शान्ति को प्रसराने वाले महान ऋद्धिमान शान्तिनाथ चक्रवर्ती भी भरतक्षेत्र का राज्य
छोड़कर प्रव्रज्या धारणकर मोक्षगामी हुए। (३९) इक्ष्वाकु वंश के राजाओं में वृषभ के समान उत्तम तथा
विख्यात कीर्तिवाले नरेश्वर चक्रवर्ती कुंथुनाथ भी राज्य
पाट तथा संपत्ति का त्याग कर अनुत्तर गति (मोक्ष) . , को प्राप्त हुए। - (४०) समुद्र तक फैले हुए भरतक्षेत्र के अधीश्वर अरनाथ नाम के , सातवें चक्रवर्ती भी समस्त वस्तुओं का त्याग कर कम
रहित होकर श्रेष्ठ गति ( मोक्ष ) को प्राप्त हुए । (४१) महान चतुरंगिनी सेना, अपूर्व वैभव तथा भारतवर्ष का
विशाल राज्य छोड़कर महापद्म चक्रवर्ती ने दीक्षा
अंगीकार कर तपश्चरण द्वारा उत्तम गति प्राप्त की। (४२) पृथ्वी पर के समस्त राजाओं के मानमर्दन करने वाले
तथा मनुष्यो में इन्द्र के समान दसवें चक्रवर्ती हरिषेण ने महिमंडल में एकछत्र राज्य स्थापित किया और अन्त में उसे छोड़कर संयम धारण कर उत्तम गति (मोक्ष)
को प्राप्त की। (४३) हजारों राजाओं से वेष्ठित ११वें जय नामक चक्रवर्ती ने
भी सच्चा त्याग धारण कर आत्मदमन किया और वे अंतिम गति ( मोक्ष) के अधिकारी हुए।