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संयतीय
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के शिष्य हैं ? आप किन कारणों से विनीत कहलाते हो ? (२२) (संयति मुनि उत्तर देते हैं: - ) “मेरा नाम संयति है, गौतम मेरा गोत्र है ! ज्ञान तथा चारित्र से विभूषित ऐसे आचार्य गर्दभाली हमारे गुरुदेव हैं ।" टिप्पणी-मुक्ति सिद्धि के लिये योग्य ऐसे गुरूवर की मैं सेवा करता हूँ । अब "विनीत किसे कहते हैं ?" इस प्रश्न का उत्तर देते हैं । ( २३ ) अहो क्षत्रियराज महामुनि ! ( १ ) क्रियावादी ( समझे बिना केवल क्रिया करने वाले ); ( २ ) अक्रियावादी ( तोता के ज्ञान के समान ज्ञानवाले किंतु क्रिया शून्य ); (३) केवल विनय द्वारा ही मुक्ति प्राप्ति में मानने वाले; तथा ( ४ ) अज्ञानवादी - इन ४ प्रकार के वादों के पक्षपाती पुरुष भिन्न २ प्रकार के मात्र विवाद ही किया करते हैं किन्तु सच्चे तत्व की प्राप्ति के लिये जरासा भी प्रयत्न नहीं
करते | इस विषय में तत्त्वज्ञ पुरुषों ने भी यही कहा है । टिप्पणी-ऐसा कहने का प्रयोजन यह है कि ऐसे मत को मानने वाला एकांतवादी साधक विनीत नहीं कहा जा सकता । इन वाक्यों से मैं एकांतवादों को नहीं मानता हूँ ऐसा संयति मुनिने स्पष्ट कर दिया । (२४) तत्व के ज्ञाता, सच्चे पुरुषार्थी तथा क्षायिक ज्ञान ( शुद्ध ज्ञान ) तथा क्षायिक चारित्रधारी ज्ञातपुत्र भगवान महावीर ने भी इसी प्रकार प्रकट किया ( कहा ) है | (२५) इस लोक में जो असत्य प्ररूपणा ( धर्मतत्त्व को उल्टा समझाते हैं ) कहते हैं वे घोर नरक में जाते हैं और जो
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आर्य (सत्य) धर्म का प्ररूपण करते हैं वे दिव्यगति को ) प्राप्त होते हैं।
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