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ब्रह्मचर्य समाधि के स्थान
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नित्य है। इस धर्म को धारण कर अनेक जीवात्माएं मोक्ष को प्राप्त हुई हैं, प्राप्त हो रही हैं और प्राप्त होंगी
ऐसा तीर्थकर ज्ञानी पुरुषों ने कहा है। टिप्पणी:-आदर्श ब्रह्मचर्य यद्यपि सब किसी को सुलभ नहीं है किन्तु
वह आकाश कुसुमवत् - भशक्य भी नहीं है। ब्रह्मचर्य मुमुक्षु के लिये तो जीवनधन है। सत्यशोधक के लिये वह मार्ग दीपक है और आत्म-विकास की प्रथम सीढ़ी है। इसलिये मन, वचन और काय से यथा शक्य ( शक्ति के अनुसार) ब्रह्मचर्य का आराधन करना, ब्रह्मचर्य की प्रीति को बढ़ाते रहना, तथा ब्रह्मचर्य रक्षण के लिये उपर्युक्त वस नियमों पर चलना यही उचित है।
ऐसा मैं कहता हूँ:इस तरह "ब्रह्मचर्य समाधि ( रक्षण) के स्थान" नामक सोलहवां अध्याय समाप्त हुआ।
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