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अध्याय
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अंडज आदि जीवोंकी अपेक्षा जरायुज जीव उत्कृष्ट हैं इसलिये सूत्रमें सबसे पहिले जरायुज एं शब्दका उल्लेख किया है। यहांपरं यह शंका न करनी चाहिये कि अंडज आदिकी अपेक्षा जरायुज जीव क्यों उत्कृष्ट हैं ? क्योंकि एक तो अंडज और पोत जीवोंकी अपेक्षा जरायुज जीवोंमें बोल चाल
और अध्ययन आदि क्रियाओंकी विशेषता है अर्थात् जिसरीतिसे जरायुज बोल चाल वा अध्ययन ॐ अध्यापन आदि कार्य कर सकते हैं उसरीतिसे अंडज आदि जीव नहीं। दूसरे चक्रवर्ति वासुदेव काम६ देव आदि प्रभावशाली पुरुष जरायुज जीवों में ही होते हैं अंडज आदिमें नहीं। तीसरे मोक्षके मार्गस्व६ रूप सम्यग्दर्शनादि और मोक्षसुखका संबंध जरायुज जीवोंके ही होता है, अंडज आदिके नहीं इस
रीतिसे भाषा अध्ययन आदिकी विशेषतासे जरायुज जीव ही अंडज आदि जीवों की अपेक्षा उत्कृष्ट हैं । है इसलिये सूत्रमें जरायुज शब्दका ही सबसे पहिले उल्लेख किया गया है।
तदनंतरमंडजगहणं पोतेभ्योऽभ्यर्हितत्वात् ॥ १०॥ पोत जीवों की अपेक्षा अंडज जीव उत्कृष्ट हैं क्योंकि अंडजोंमें जो शुक सारिका आदि पक्षी हैं । 8 उनमें पोत जीवोंकी अपेक्षा अक्षरोंकी उच्चारणक्रिया आदिकी विशेषता है-चे स्पष्टतया उच्चारण करने ६ में कुशल होते हैं इसलिये सूत्रमें जरायुज शब्दके वाद अंडज शब्दका उल्लेख किया है । शंका
उद्देशवन्निर्देश इति चेन्न गौरवप्रसंगात् ॥ ११॥ उद्देशके समान ही निर्देश होना चाहिये अर्थात् जिसका पहिले सामान्य कथन हो उसका व्याख्यान हैं भी पहिले होना चाहिये 'संमूर्छनगर्भोपपादा जन्म' इससूत्रमें उद्देशस्वरूप संमूर्छन शब्दका सबसे पहिल, ७१४.
उल्लेख किया गया है इसलिये यहां पर भी संमूर्छन जन्मवालोंका सबसे पहिले कथन करना चाहिये
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