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तियचोंके उत्कृष्ट देशावधिके क्षेत्रका प्रमाण असंख्यातें द्वीप और समुद्र है । काल असंख्यात वर्षप्रमाण है। द्रव्य तेजसशरीर प्रमाण है और उसकी उत्पत्ति असंख्याते द्वीप समुद्रोंके आकाशके प्रदे| शोंके प्रमाण असंख्याती तैजसशरीर वर्गणाओंसे होती है इसलिये उन वर्गणाओं के प्रमाण अनंतप्रदेशों
के धारक असंख्याते स्कंध द्रव्योंको तियचोंका उत्कृष्ट देशावधि विषय करता है । भावका प्रमाण | पहिलेके समान है । तियंच और मनुष्य दोनोंके जघन्य देशावधि होता है । वह ऊपर कहे अनुसार समझ लेना चाहिये । तियंचोंके देशावधि ही होता है परमावधि और सर्वावधि नहिं होते यह नियम है। मनुष्योंका द्रव्यक्षेत्र आदिकी अपेक्षा उत्कृष्ट देशावधि इसप्रकार है
मनुष्यों के उत्कृष्ट देशावधिका क्षेत्र असंख्याते द्वीप समुद्र है। कालका प्रमाण असंख्यात वर्ष है। असंख्याते द्वीप और समुद्रोंके आकाशके प्रदेशोंकी बराबर असंख्याती ज्ञानावरण आदि कामांण र | वर्गणाओंसे कार्माण शरीरकी उत्पत्ति होती है। उस कार्माण शरीरका जितना प्रमाण है उतना मनुष्यों के उत्कृष्ट देशावधिका द्रव्य है और भार प्रमाण जैसा पहिले कह आए हैं उसीप्रकार है। यह उत्कृष्ट देशावधि मनुष्योंमें संयमी मनुष्योंके ही होता है साधारण मनुष्योंके नहीं यह नियम है। द्रव्य क्षेत्र आदि की अपेक्षा परमावधिका प्रमाण इसप्रकार है. जघन्य परमावधिका एक प्रदेश आधिक लोक प्रमाण क्षेत्र है। एक प्रदेश अधिक लोकांकाशके प्रदेशोंकी बराबर एवं जिनका विभाग न हो सके ऐसे समय, काल है। वे समय असंख्याते वर्ष प्रमाण हैं। एक प्रदेश अधिक लोकाकाशके प्रदेशोंकी जितनी संख्या है उस संख्या प्रमाण स्कंध, द्रव्य है और भावका प्रमाण पहिले कहे अनुसार है। विशुद्धताकी विशेषतासे नाना जीव और एक जीव दोनोंकी
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