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________________ f पडेगा वा अर्धग्रासी ? यह वात ज्योतिषी लोगों के प्रत्यक्ष नहीं है तो भी वे आगम प्रमाणसे उसका निश्चयकर ठीक वतला देते हैं उसीप्रकार यद्यपि मोक्ष पदार्थ प्रत्यक्ष से नहीं दीखता तथापि आगमसे उसकी सत्ताका निश्चय' है ही । आगम भगवान सर्वज्ञका वचनजन्य ज्ञान है इसलिये मोक्ष पदार्थ सिद्ध असिद्ध नहीं | और भी मोक्षंके अस्तित्वमें पुष्ट प्रमाण यह है स्वसमयविरोधः ॥ १३ ॥ यद्यपि मोक्ष पदार्थ प्रत्यक्षगोचर नहीं, तो भी जितने भी आगमप्रमाणवादी हैं सभी उसका अस्तित्व मानते हैं । इसलिये जो यह कहते हैं कि मोक्ष पदार्थ दीखता नहीं इसलिये उसका अभाव है यह बात उनके आगम के विरुद्ध है । यदि यहांपर यह शंका की जाय कि - बंधकारणानिर्देशादयुक्तमिति चेन्न, मिथ्यादर्शनादिवचनात् ॥ १४ ॥ जहाँपर मोक्षके कारण वतलाये गये हैं वहां पर "मोक्ष के कारणोंसे जो विपरीत कारण हैं उनसे बंध होता है" इस रूप से बंध के कारण भी साथ साथ वतलाये गये हैं परन्तु यहां पर वह वात नहीं ? यहां तो केवल मोक्षके ही कारणों का उल्लेख है ? सो ठीक नहीं । आगे 'मिथ्यादर्शनाविरतिप्रमादकषाययोगा बंध हेतवः ।' इस सूत्र से मिथ्यादर्शन अविरति आदि बंधके कारणोंका भी कथन किया गया है । यदि यह कहा जाय कि बंघपूर्वकत्वान्मोक्षस्य प्राक् तत्कारणनिर्देश इति चेन्न आश्वसनार्थत्वात् ॥ १५ ॥ बंधनबडवत् ॥ १६ ॥ गलत मोक्षका विधान बंधपूर्वक है- पहले कर्मों का बंध होता है पीछे मोक्ष होती है इसलिये पहले बंधके कारण कहकर मोक्षके कारण कहने चाहिये ? सो भी ठीक नहीं। क्योंकि यह एक साधारण वात है Sল৬ भाषा १०
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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