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वरावर घूम रहा है इसलिये चक्का भी चल रहा है और चकाके चलनेसे घटी यंत्र भी चल रहा होगा" है। इस प्रकारके अनुमानसे घटी यंत्रके चलनेका वह निश्चय कर लेता है उसी प्रकार “वैलके समान कर्मों के
बलसे चारो गतियों में घूमना पडता है। चकाके समान गतियोंमें घूमनेसे घटी यंत्र की तरह शारीरिक मानसिक अनेक प्रकारके कष्ट भोगने पडते है किंतु जब सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान और सम्पक चारित्र
की प्राप्तिसे समस्त कर्म सर्वथा नष्ट हो जाते हैं समस्त कर्मों के सर्वथा नाश हो जाने पर चारो गतियों | ॥ में घूमना छूट जाता है । एवं गतियों में घूमना बंद हो जाने पर दुःखस्वरूप संसारकी निवृचि हो जाती | । है। जो संसारकी निवृचि है उसीका नाम मोक्ष है इस अनुमानसे मोक्ष पदार्थकी भी सिद्धि हो जाती |प्रत्यक्ष और अनुमान दोनों ही प्रमाणों द्वारा सिद्ध वात प्रमाणीक मानी जाती है इसलिये जव अनु |मानसे मोक्ष पदार्थ सिद्ध है तब उसका उपाय क्या है ? यह जो पूछनेवालेने पूछा है, निरर्थक नहीं हो | सक्ता किंतु यथार्थ ही है । और भी कहा है
सवैशिष्टसंप्रतिपत्तेः॥१०॥ यद्यपि मोक्ष पदार्थ प्रत्यक्ष प्रमाणसे दीख नहीं पडता तथापि सभी शिष्ट-उत्तम पुरुष अनुमान प्रमाणसे उसकी मौजूदगीका निश्चय कर उसकी प्राप्तिके जो भी कारण हैं उनके लिये प्रयत्न करते हैं। | उत्तम पुरुष जिस कार्यको करते हैं वह कार्य प्रायः उत्तम माना जाता है जब मोक्ष पदार्थको उचम पुरुष | || मानते और उसके मार्गपर चलते हैं तब मोक्षका मार्ग-उपाय पूछना ठीक ही है । और भी कहा है
आगमात्तत्प्रतिपत्तेः ॥ ११ ॥ सूर्याचंद्रमसोर्गहणवत् ॥ १२॥ सूर्य और चंद्रमाका ग्रहण किस समयपर, किस रंगका, किस दिशामें पडेगा ? तथा सर्वप्रासी
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