SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ A त०रा० | कि-कैदखानेमें रहनेवाले मनुष्यसे पहले यदि बंधनके कारण सुझाये वा सुनाये जाते हैं तो वह भय-18 | भीत हो निकलता है यदि उसीको पहले छूटने के कारण सुनाये जाते हैं तो उसे संतोष होता है | ११॥ उसीप्रकार संसारी जीव अनादि कालमे संसाररूपी कैदखानेमें पडे दुःख पा रहे हैं यदि इनको पहले है। है| कर्मबंधके कारण सुनाये जायगे तो ये बंधसे होनेवाले कष्टोंसे भयभीत हो छटपटा निकलेंगे । यदि पहले मोक्षका कारण बतलाया जायगा तो उन्हें संतोष होगा इसलिये जीवोंको आश्वासन देने के लिये 2 || पहले बंधके कारण न कहकर मोक्षके कारणोंका कथन किया है । और भी यह वात है कि . मिथ्यावादिपणीतमोक्षकारणनिराकरणार्थं वा ॥१७॥ ___ बहुतसे मिथ्यावादी पुरुष सम्यग्दर्शन आदि तीनों मोक्षके कारणोंमें किमी एक को ही वा दोको |5|| ही मोक्षका कारण मानते हैं उनके मतके खंडनके लिये एवं तीनों मिलकर ही मोक्षका मार्ग है' यह है वतलानेके लिये पहले मोक्षके कारणोंका कथन किया है। . मोक्षसे विपरीत संसारकी कल्पना कर बहुतसे मिथ्यावादियोंका कहना है कि संसारका नाश एक 2. मात्र ज्ञानविशेषसे ही होजाता है। अन्य किसीकी जरूरत नहीं। बहुतसे कहते हैं-ज्ञाननिरपेक्ष चारित्रसे ही संसारकी निवृचि और मोक्षकी प्राप्ति हो जाती है। ऐसे अनेक मिथ्यावादियोंके मतोंके निराकरण करनेके लिये और सम्यग्दर्शन आदि तीनो मिलकर ही मोक्षका मार्ग है यह प्रगट करनेके लिये सूत्र|कारने सम्यग्दर्शनज्ञान इत्यादि पहला सूत्र कहा है। दूसरे किन्हीं टीकाकारोंका मत है कि-आगे होने 8 वाले पुरुषोंकी सामर्थ्य के अनुसार सिद्धान्त शास्त्रोंके ज्ञान कराने के लिये आचार्य महाराजने पहले | | मोक्षके कारणों को कहकर आगे शास्त्र रचनेकी इच्छासे उस सूत्रका उल्लेख किया है। क्योंकि इस RECIPASHASABRETIONS-SERS506 AROGAMITHALARICONSCAREERAREER
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy