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अध्याय
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ब्रह्मलोकालया लोकांतिकाः॥ २४ ॥ : जिनका ब्रह्मलोक आलय है अर्थात् जो पांचवें स्वर्गके अंतमें रहते हैं वे लौकांतिक देव हैं। .
। एत्स तमिल्लीयते इत्यालयः॥१॥ जहांपर जीव आकर रहैं उसका नाम आलय है । उसको भी निवास कहते हैं । जिनका निवास स्थान ब्रह्मलोक हो वे ब्रह्मलोकालय कहे जाते हैं।
सर्वब्रह्मलोकदेवानां लोकांतिकत्वप्रसंग इति चेन्न लोकांतोपश्लेषात् ॥२॥ . ब्रह्मलोकके अंतमें रहनेवाले लौकांतिक देव माने गये हैं परन्तु 'ब्रह्मलोकालयाः' इस पदसे तो सामान्यरूपसे ब्रह्मस्वनिवासी समस्त देवोंको लोकांतिकपना प्राप्त होता है जोकि विरुद्ध है? सो ठीक नहीं । ब्रह्मलोकालय इस शब्दके साथ लोकांतिक शब्दका संबन्ध है। ब्रह्मलोकके अंतका नाम लोकांत है और वहांपर रहनेवाले लोकांतिक कहे जाते हैं। इससीतसे ब्रह्मलोकके अंतमें रहनेवाले ही देव लोकांतिक हो सकते हैं समस्त ब्रह्मलोकनिवासी नहीं । अथवा
जन्म जरा और मरणसे व्याप्त स्थानका नाम लोक है। उसका अंत लोकांत है जिन्हें उस लोकांतका |प्रयोजन हो वे लोकांतिक कहे जाते हैं। ये लोकांतिक देव परीतसंसार हैं । ब्रह्मलोकसे च्युत होकर, एक गर्भवास अर्थात् नरभव पाकर नियमसे मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं ॥२॥
सामान्यरूपसे लोकांतिकदेवोंका उल्लेख कर दिया गया अब उनके भेदोंके दिखानेके लिए सूत्रकार सत्र कहते हैं- ..
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