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अध्याय
' है और उनमें प्रत्येक देवकी चार चार पल्य प्रमाण आयु है। तथा वाह्य सभाका नाम जातु । इसके सभा- हूँ } :सद सोलह हजार देव हैं और उनमें प्रत्येक देवकी तीन तीन पल्यकी आयु है।
अभ्यंतर सभाके देवोंमें प्रत्येककी सातसै सातसै देवियां हैं और उनमें प्रत्येककी ढाई ढाई पल्यकी है आयु है। मध्यम सभाके देवोंमें प्रत्येक देवकी छहसौ छहसौ देवियां हैं और उनमें प्रत्येक देवीकी दो दो पल्यकी आयु है। वाह्य सभाके देवोंमें प्रत्येक देवकी पांचसो पांचसौ देवियां हैं और उनमें प्रत्येक देवीकी 'डेढ डेढ पल्यकी आयु है। ये देवियां अपने विक्रियावलसे इतनी ही इतनी देवियोंके रूप धारण करने में समर्थ हैं अर्थात् अभ्यंतर सभाके देवोंकी प्रत्येक देवी अपनी विक्रियासे सातसै देवियोंका रूप धारण कर सकती है। मध्यम सभाके प्रत्येक देवकी देवी अपनी विक्रियासे छहसौ देवियोंका रूप धारण कर सकती है एवं वाह्य सभाके देवोंकी प्रत्येक देवी अपनी विक्रियासे पांचसै देवियोंका रूप धारण कर है।
सकती है। 8. ऊपर जो आठ पट्टदेवियां कही गई हैं उन आठो पट्टदेवियोंकी अभ्यंतर सभामें सातसौ देवियां ६ हैं। मध्यम सभामें छहसौ देवियां हैं और वाह्य सभामें पांचसौ देवियां हैं। इन तीनों ही सभाकी रहनेहूँ वाली देवियां ढाई ढाई पल्यकी आयुकी धारक हैं।
प्यादे घोडे हाथी बैल रथ नर्तकी और गंधर्व यह सात प्रकारकी सेना है। इस सातों ही प्रकारकी है है सेनाकी एक एक पल्यकी आयु है । इस सात प्रकारकी सेनामें एक एक महचर भी है और प्रत्येककी है * एक एक पल्यकी आयु है । सेनाके महचरोंमें पदाति सेनाका महचर वायु है। यह वायु महत्तर, पदाति ११०५४
सेनाकी सात कक्षाओंसे वेष्टित है अर्थात् पदाति सेनाकी सात कक्षायें है। पहिली कक्षामें चौरासी लाख,
GREHERCASE
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