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सुबोध जैन पाठमाला ---भाना स
५. तप्पडिरुवमववहारें : वस्तु मे भेल सभेल (यादि) की हो, जो मै देवासियो कारो मे से मुझे जो कोई श्रइयासे को दिना साबधी प्रतिचार दोष लगा हो, तो
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तस्सा मिच्छामि दुक्कडं
श्रदत्तादान प्रश्नोत्तरी
प्र० श्रसादान किसे कहते है ?
ॐ० : स्वामिकयों क आज आदि न होतो हुए दुष्ट विचारपूर्वक उसको वस्तु लेना ॥
प्र. : यहाँ चोरी के पाँच प्रकारों से क्या बताया है ?
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ॐ० : लोकप्रसिद्ध चोरी के कुछ प्रकार वायो हैं ॥
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प्र० : ' इत्यादि' भन्द सो कॉल्स कोरियों सममानी चाहिएँ ?
उ० : राज्य, समाज, स्वामी आदि की उचित नीति के विरुद्ध काम करना, जैसे अधिक कर लगाना, उचित कर न देना, न्यूनाधिक तौलना-माना, घूस लेना-देना, वेतन न देना, श्रम ना करना, अन्या का साहित्य चुराना, नाम चुराना, धरोहर दवाना, भूमि दाना आदि
फ्र० :- इस व्रत में 'सगे-सम्बन्धी आदि का आगार क्यों रक्कमा
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उ० : मिलजुल कर रहने वाले सम-सम्बन्धी यदि परस्पार घर की ताला खोलना आदि करते हैं या व्यापार में २१ माल दिखाकर १६ माल दिया जाता हैं या 'इस वस्तु का यह स्वामी हैं इसकी, सामान्यतः जानकारी यह खोज होना कठिन होने
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