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सूधर्मविभाग-. "सत्य अगुवत' निबन्ध || श्र: सच्ची बात प्रकट करता अतिचार कैसे?
उ० इसलिए 'कि, ऐसा करने से स्त्री आदि का विश्वासघात होता है, वह लज्जित होकर सर सकती है या राष्ट्र पर अन्य राष्ट्र का पानमण आदि हो सकता है, अत्त विश्वासमास और हिंसा की अपेक्षा सत्य बातम्भकार करता मी विचार है।
प्र : झूठा उपदेश किसे कहते हैं २
उ: बिना पूछे ग्या पूछने पार भी ऐसा असत्य परामर्श देमा, जिससे श्रोता हिंसादि बड़े मामलो से या यससो मे नमा जाम।।
प्र कोष्ट लेख से और ज्या-समझना चाहिए?
उ० जनाक्शी हस्ताक्षर मा सिमक्के मा मोहरे का विधात बनाता आदि।
निबंध
१. सूक्त" २. सादेव्यारिणय्यदेवयानो कति सच्चययाणे रसारणं, सत्यवचन मे रत पुरुषो की देवतासहाय करते हैं। ---प्रश्न० ॥२ लोक मे जितने भी ग्मत्र,योग, जप, विद्या,अस्त्र, शस्त्र, कला अागम आदि हैं, वे सब सत्य पर प्रतिष्ठित हैं।।
प्रश्न०॥ ३. "सभी साधुओ ने स्मृषावाद की नगीं की है,यह 'प्राणियो 'मे अविश्वास कर कास्या है। दशमं । इसलिए स्मृषावाद त्यामोश
२. उद्देश्य : भूठ को न्योकना और मौन-वृति तथा सला मा स्थापन कस्ता