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________________ सूत्र-विभाग-5. 'अहिंसा अणुव्रत' प्रश्नोत्तरी [ ४६ धनापहारी चोर, डाकू आदि को, शील को लूटने वाले, जार आदि को या उचित और आवश्यक राष्ट्रनीति, राजनीति, समाजनीति आदि का भग करने वाले राष्ट्रद्रोही आदि को। प्र० : श्रावक सापराधी की हिंसा क्यों नहीं छोड़ देता? , उ० : १. जिसमे निरपराध त्रस जीवो की हिंसा हो, इस प्रकार नयी अविद्यमान स्त्रो, सपत्ति, भोगोपभोग सामग्री आदि का त्याग-भाव श्रावक मे आ जाता है। परन्तु पुरानी विद्यमान वस्तुओ का त्याग-भाव उसमे नही आ पाता, अतः उसे सापराधियो पर मारने का द्वेष आ जाता है तथा २ लोक मे रहने के कारण उस पर आश्रितो की रक्षा का भार आदि भी रहता है, इसलिए वह सापराधी हिंसा नहीं छोड़ पाता। प्र. निरपराध किसे कहते हैं ? उ० . जैसे आक्रमण न करने वाले, गांति-प्रेमी मनुष्य, राज्य आदि को, धन शीलादि को न लूटने वाले साहूकार, सुशील आदि को, अपने मार्ग से जाते हुए सिंह, सर्प आदि को, किसी को कष्ट न पहुँचाने वाले गाय, हरिण, तीतर, मछली अण्डे आदि को। प्र० 'आकुट्टी' से मारना किसे कहते है ? उ० . 'यह जीवित भी रहेगा या नही।' इसका ध्यान न रखते हुए कषायवश निर्दयतापूर्वक मारने को। प्र० : अहिंसा अणुव्रत क्या यावज्जीवन के लिए ही लिया जा सकता है, न्यूनाधिक समय के लिए नहीं लिया जा सकता ?
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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