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सूत्र-विभाग-८. 'अहिंसा अणुव्रत' प्रश्नोत्तरी [ ४७ उ० स्थावर जीवो की हिसा को। प्र० प्राणातिपात किसे कहते है ? उ० : जीव को मिले हुए प्राणों के वियोग करने को।
प्र० : जीव-हिसा के लिए प्राणातिपात' शब्द का प्रयोग क्यों किया?
उ० : 'जीव नित्य है। वह न जन्मता, न मरता है । इस सिद्धान्त को बताने के लिए।
प्र. जीव का जन्म मरण किस अपेक्षा से माना गया है ?
उ. प्राणों के सयोग से नये प्रारभ होने वाले भव की अपेक्षा जन्म माना जाता है और प्राणों के वियोग से होने वाले पुराने भव की समाप्ति की अपेक्षा मरण माना जाता है ।
प्र० जीव अपने कर्मानुसार मरते और दुख पाते हैं, फिर मारने वाले को पाप क्यों लगता है ?
उ० . १. मारने की दुष्ट भावना और २ मारने की दुष्ट प्रवृत्ति से।
प्र० : श्रावक सजीव की हिंसा का त्याग क्यों करता है ?
उ० ' उस हिंसा से पाप अधिक होता है, इसलिए । प्र०: त्रसहिसा से पाप अधिक क्यो होता है।
उ०. १. सजीवो का जीवत्व प्रत्यक्ष है तथा वे मरते हुए बचने का प्रयास करते है। ऐसी दशा में जीवत्व प्रत्यक्ष
होते हुए बलात् मारने से क्रूरता अधिक आती है, इसलिए तथा '२. असख्य-अनत स्थावर जीवो को जितने पुण्य से असख्य