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________________ १६ ] 1. कायसा+ १. बधे २. बहे ३. छविच्छेए सुवोध जैन पाठमाला जो मे देवसिप्रो श्रइयारो को 1 ऐसे पहले स्थूल प्राणातिपात पहला स्थूल प्राणातिपात विरमरण व्रत के पच अइयारा विरमरण व्रत के विषय याला जारिणयव्वा न समायरिव्वा मे जो कोई प्रतिचार लगा न जहा ---ते श्रालोडहो, तो आलोउ ४. अइभारे ५. भत्तपारण- विच्छेए -भाग २ : काया से ( इन तीन योगो से ) प्रतिचार पाठ : रोपवश गाढ बन्धन बाँधा हो, : गाढ घाव घाला हो, अवयव ( चाम यादि का ) छेद किया हो, : अधिक भार भरा हो, : भात पानी का विच्छेद किया हो, ( खाने-पीने मे स्वावट डाली हो ) प्रतिक्रमण पाठ इन प्रतिचारो मे से मुझे जो कोई दिन सम्बन्धी अतिचार लगा हो, तो तस्स मिच्छामि दुबकडं । 'अहिंसा प्रणुव्रत' प्रश्नोत्तरी प्र० : सूक्ष्म प्रारणातिपात किसे कहते हैं ? तिस्स भन्ते ! पडिक्कमामि निद्रामि गरिहामि मप्पा वोसिरामि ' इतना और
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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