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सूत्र-विभाग-~-६ 'प्रागमे तिविहे' प्रश्नोत्तरी [३१ ।
: वाचना, पूछना और धर्म कथा करते
भणता
गुरगता विचारतां : परिवर्तना करते (फेरते) हुए तथा
अनुप्रेक्षा (चिंतन) करते हुए, ___-ज्ञान और ज्ञानवंत पुरुषो की अविनय पाशातना की हो, तो
प्रतिक्रमण पाठ
तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
'प्रागमे तिविहे' प्रश्नोत्तरी प्र० . प्रागम किसे कहते हैं ? - उ० . जिससे जीवादि नव तत्वो का सम्यग्ज्ञान हो। प्र० सूत्रागम किसे कहते है ?
उ० तीर्थंकरो ने अपने श्रीमुख से जो भाव कहे, उन्हे अपने कानों से सुनकर गणधरो ने जिन आचाराग आदि आगमो की रचना की, उस शब्दरूप आगम को। .
प्र. अर्थागम किसे कहते है ?
उ० तीर्थंकरो ने अपने श्रीमुख से जो भाव प्रकट किये, उस भावरूप आगम को। .
प्र० : व्याविद्ध पढना किसे कहते है ? उ० सूत को तोडकर मणियो के बिखरने के समान,