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२. प्रत्यागमे
३ तदुभयागमे
ऐसे तीन प्रकार श्रागम रूप ज्ञान के विषय मे जो कोई प्रतिचार लगा हो, तो श्रानोउं
अतिचार पाठ
: यदि व्याविद्ध पढा हो,
: व्यत्वयाम्रेडित पढा हो,
सुवोन जैन पाठमाला - भाग २
: श्रर्थ (रूप ) ग्रागम
: ( सूत्र अर्थ ) उभय (रूप) ग्रागम
१. जं वाइद्ध
२. बच्चा-मेलियं
३ होणक्खरं
४. श्रच्चदखरं
५. पयहोणं
६. विश्णय होणं
७ जोग- होण
८. घोस- होणं
६. सुटठु ( s) दिनां
१०. दुट्छु पडिच्छियं
११. अकाले की सज्झायो
१२. काले न को सज्भाश्रो
१३. श्रसज्झाए सज्झाइयं
१४. सम्भाए न सज्झाइयं
: होनाक्षर पढा हो,
: प्रति ग्रक्षर पढा हो,
: पदहीन पढा हो,
: विनयहीन पढा हो,
: योगहीन पढा हो,
: घोषहीन पढा हो,
: सुष्ठु ? ( नं) दिया हो,
: दुष्ठु लिया हो,
काल मे स्वाध्याय की हो,
: काल मे स्वाध्याय न की हो,
: अस्वाध्याय मे स्वाध्याय की हो,
: स्वाध्याय मे स्वाध्याय न की हो,
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