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पक्किमरग ठाएमि ।
सूत्र-विभाग- २. 'इच्छा मिरणं भते' प्रश्नोत्तरी
: प्रतिक्रमण (आवश्यक) को
: करता हूँ ।
कायोत्सर्ग प्रतिज्ञा
देवसिय । १- २. गाण - दंसण ३. चरित्ताचरित
४ तव
अइयार चिन्तवत्थं
करेमि काउसग्ग ।
[ १३
: दिन सबधो ज्ञान दर्शन | सम्यक्त्व )
चारित्राचारित्र ( श्रावक का देश
चारित्र )
: और तप के ( सब ह ह )
: अतिचारो का
: चिन्तन करने के लिए
: करता हूँ, कायोत्सर्ग को
प्रश्नोत्तर
प्र० क्षेत्र - विशुद्धि किसे कहते है ?
उ० किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले उसके लिए भूमिका का शुद्धि करना । जैसे धोबी वस्त्र धोने से पहले
प्रतिक्रमण मे 'देवसिय चाउम्मासियं' तथा सावत्सरिक प्रतिक्रमण मे 'देवसिय सवच्छारिय' बोलें। दो प्रतिक्रमरण करने वाले चातुर्मासान्त के दिन पहले प्रतिक्रमण मे 'देवसिय तथा दूसरे प्रतिक्रमरण मे 'चाउम्मासियं' बोलें । इसी प्रकार सवत्सरान्त मे पहले मे 'देवसियं' तथा दूसरे मे 'संवत्सरिय' बोलें । इसी प्रकार 'देवसिय', देवसिप्रो और 'देवसियाए' के स्थान पर 'राइय' 'राइनो' और 'राइयाए' श्रावि बोलें 1