________________
सत्त्व-विभाग-बारहवां बोल : '५ इन्द्रिय के २३ विषय' [ २३३ २. अजीव शब्द : अजीव का शब्द, जैसे वीणा आदि का शब्द और ३ मिश्र शब्द =जीव के मुंह के द्वारा अजीव का निकला हुआ शब्द। जैसे बांसुरी आदि के शब्द। श्रोत्रेन्द्रिय के ये तीन मूल विषय। ये तीन शुभ तथा ये तीन अशुभयों श्रोत्रेन्द्रिय के उत्तर विषय १२ बारह। .
२ 'चक्षुरिन्द्रिय का विषय वर्ण है। वर्ण के पाँच भेद - १. कृष्ण (काला)२ नील (नीला) ३ रक्त (लाल) ४. पीत (पोला) और ५. श्वेत (सफेद)। चक्षुरिन्द्रिय के ये पांच मूल विषय। ये तीन सचित्त, तीन अचित्त और तीन मिश्रये पन्द्रह। ये पन्द्रह शुभ और पन्द्रह अशुभ- यो श्रोत्रेन्द्रिय के उत्तर विषय ३० तोस । -
३. घ्राणेन्द्रिय का विषय गन्ध है। गन्ध के दो भेद-१ सुरभिगन्ध (सुगन्ध) और २. दुरभिगन्ध (दुर्गन्ध)। घ्राणेन्द्रिय के ये दो मूल विषय। ये दो सचित्त, दो प्रचित और दो मिश्र-यो घ्राणेन्द्रिय के उत्तर विषय ६ छह ।
४. रसेन्द्रिय का विषय रस है। रस के पाँच भेद - १. तिक्त (=तीखा, जिसे आज कडुवा कहते हैं) २. कटु (कडुवा, जिसे आज तीखा कहते हैं) ३. कषाय (कषायला) ४. अम्ल (=खट्टा) और ५. मधुर (मीठा)। रसेन्द्रिय के पाँच मूल विषय। ये पाँच सचित्त, पाँच प्रचित्त और पाँच मिश्र-ये पन्द्रह। ये पन्द्रह शुभ और पन्द्रह अशुभ-यों रसेन्द्रिय के , उत्तर विषय ३० तीस।
५. स्पर्शेन्द्रिय का विषय स्पर्श है। स्पर्श पाठ हैं१. कर्कश (खरदरा, जैसे पैर की ऐडी) २ मृदु (कोमल, मुहॉला, जैसे गले का तालु) ३. गुरु (भारी, जैसे हड्डी) ४. लघु (हलका,