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________________ सूत्र-विभाग-३६ दश प्रत्याख्यानों के पृथक्-पृथक् पाठ [:२११ भोजन त्याग की अपूर्णता का खेद करना। निरन्तर मास-माम का तप वाले तपस्वियो के जीवन चरित पर ध्यान देना । । पाठ ३६ छत्तीसवा दश प्रत्याख्यानों के पृथक-पृथक पाठ १. 'नमस्कार सहित' का प्रत्याख्यान पाठ उग्गए सूरे : सूर्य उदय से लेकर १. नमोक्कार सहियं : १. मुहर्त दिन और एक नमस्कार पच्चवखामि उच्चारण काल तक पच्चक्खता हूँ चउन्विह पि आहार-१. प्रसरणं २. पारणं ३. खाइम ४. साइमं। १. अन्नत्थरणा-भोगेरणं २० सहसागारेरणं । वोसिरामि। २. 'पौरुषी' का प्रत्याख्यान पाठ उग्गए सूरे सूर्य उदय से लेकर पोरिसि (पौरुषी) : एक प्रहर अर्थात् १ दिन तक या सड-पोरिसिं (सार्द्ध) : डेढ प्रहर अर्थात् ३ दिन तक पच्चक्खामि । चउन्विहं पि आहार-१० अस॥ २. पारणं ३. खाइमं ४. साइमं। १. अन्नत्थरणर-भोगेरणं ५ २. सहसा-गारे
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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