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सुवीध जैन पाठमाला-भाग २
पश्चात् अगला पिछला काल मिला
कर) सूर्य उदय से लेकर १. गठि-सहिये : जब तक मैं अपने कपड़े डोरी आदि की (ग्रन्थिसहित) गाठ बधी रक्खू, या २. मुट्टि-सहियं (मुष्टिसहित) मुट्ठी को वधी रक्खू या ३. नमुझार-सहियं : एक मुहूर्त और उसके उपरांत एक (नमस्कार सहित) नमस्कार मंत्र न गिन या ४. पोरिसियं (पौरुषी) : एक प्रहर दिन न आवे या ५. साड-पोरिसियं • डेढ प्रहर दिन न आवे, तब तक तिविह पि
(पानी को छोड शेप) तीनो प्रकार के चउन्विह पि आहार : (या) चारो प्रकार के आहार१. असरण २. पारणं अशन (अन्न विगय) पानी (जल) ३ खाइमं ४. साइमं : खाद्य (फल,मेवा,ौपधि) और स्वाध अपनी अपनी धारणा प्रमारणे (ये या अन्य) पच्चरखारण (पच्चवखामि) :(का प्रत्याख्यान करता हू) अन्नत्थरणाभोगेरणं : इन श्राकारों (पागारो) को छोडकर (अन्यत्र अनाभोग) : प्रत्याख्यान की स्मृति न रहे या सहसागारेरणं : अकस्मात् मुह मे वर्षा की बूद आदि (सहसाकार) चली जाय या कोई बलात् मुह में
हंस दे या महत्तरा-गारे : महत्तर अर्थात किये हुए प्रत्याख्यान (महतराकार) से विशेप निर्जरा का अवसर उपस्थित
होने पर महत्तर अर्थात् बडे को
आज्ञा हा जाय, या सव्व-समाहि- * शीघ्र प्राणनाशकारी विभूचिका यत्तियागारेण (हेजा) आदि रोग या सर्पदश आदि