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________________ सूत्र-विभाग - ३२ पाँच पदों की वन्दनाएं [ १६१ ३ स्थानांग (ठाणांग) : जिसमे नव तत्वो की स्थापना है : जिसमे नव तत्वो का निर्णय है ४. समवायांग : जिसमे नव तत्वो की व्याख्या है। : जिसमे दृष्टात व धर्मकथाएँ है : जिसमे दश श्रावकों का वर्णन है : जिसमें मोक्ष गये हुए साधुयों का वर्णन है : जिसमे अनुत्तर विमान मे गये हुए साधु का वर्णन है । : जिसमे प्राश्रव सवर का वर्णन है : जिसमे शुभ-अशुभ कर्मफल का वर्णन है । : जिसमे देवलोक में कौन कहाँ पैदा होता है ? इसका वर्णन है : जिसमे राजा प्रदेशी के ग्रात्मवाद सबधी प्रश्न और कैशीमुनि के उत्तर हैं । " : जिसमे जीव सबधी विविध वर्णन है । : जिसमे विविध विषयो का वर्णन है । : जिसमे जम्बूद्वीप सबंधी वर्णन है । : जिसमे चन्द्र सबधी वर्णन है : जिसमे सूर्यं सबधी वर्णन है : जिसमे नरक गये, उनका वर्णन हैं : जिसमे देवलोक गये, उनका वर्णन है। ५. भगवती ६. ज्ञाताधर्म कथा ७. उपासक दशांग ८. अंतकृत (अतगड) ६. प्रनुत्तरोप-पांतिक ( श्रणुत्तरोववाई) १०. प्रश्नव्याकरण ११. विपाक सूत्र बारह उपांग १. श्रपपातिक ( उववाई) २. राजप्रश्नीय ३. जीवाभिगम ४. प्रज्ञापना ५. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ६. चन्द्रप्रज्ञप्ति ७. सूर्यप्रज्ञति ८. निरयावलिका 5. ६. कल्पायतंसिका १०. पुष्पिका : जिसमे सम्यक्त्व आदि की विराधना करके देवलोक मे देव बने, उनका वर्णन है ।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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