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१७४ ] सुवोध जैन पाठमाला-भाग २ सज्ञा ६ चार विकथा १०. पाँच कामगुण ११ सात भय १२. पाठ मद १३ सत्रह असयम १४. अट्ठारह अब्रह्म १५. वीस असमाधि १६ इक्कीस शवल दोष १.. उनतीस पापश्रुत १८. तीस महामोहनीय और १९. तैतीस पाशातना-ये उन्नीस वोल त्यागने योग्य है
प्र० : इन तैतीस वोलो मे प्रादरने योग्य बोल कितने हैं ?
उ० : १. तीन गुप्ति २ पाँच (अणुव्रत) महाव्रत ३. पाँच समिति ४. नव ब्रह्मचर्य गुप्ति ५. दश यति धर्म ६. ग्यारह उपासक प्रतिमा ७. वारह भिक्षु प्रतिमा ८ पच्चीस भावना है सत्तावीस अनगार गुण १०. इकत्तीस सिद्धादि गुण और ११ बत्तीस योग सग्रह-ये ११ ग्यारह बोल आदरणीय है।
प्र. : इन तैतीस वोलो मे, जिनमे कुछ त्यागने योग्य और कुछ आदरने योग्य, यो दोनो प्रकार के बोल हो, ऐसे मित्र बोल कितने है ?
उ० : १ चार ध्यान २ छह लेश्या और ३. तेरह क्रिया स्थान, ये तीन वोल मिश्र है। क्योकि चार ध्यान मे १. अात, २. रौद्र, ये दो ध्यान त्यागने योग्य और १. धर्म २ शुक्ल, ये दो ध्यान पादरने योग्य हैं। लेश्या मे १ कृष्ण २ नील, ३ कापोत, ये तीन लेश्याएँ छोडने योग्य और १. पीत २. पन ३ शुक्ल,ये तीन लेश्याएं आदरने योग्य हैं तथा तेरह क्रियायो मे पहली अर्थदण्ड
आदि १२ क्रियाएँ त्यागने योग्य और शेष तेरहवी इपिथिक क्रिया प्रादरने योग्य है।
प्र० : सब बोलो का योग कितना हुआ?