________________
१४४ ] सुबोध जन पाठमाला-भाग २ बोल (एगविहे असजमे) ११. नमो चउवीसाए-इन ग्यारह पाठ और 'खामेमि सव्वे जीवा' आदि गाथायो को 'श्रमण सूत्र कहते है।
किन्तु आजकल कई स्थानो पर १. पगामसिज्जाए २. गोयरग्ग-चरियाए ३. चाउकाल सज्झायस्स ४. तैत स बोल और ५. नमो चउव्वीसाए-इन पाँच पाठो को श्रमरण सूत्र कहा जाता है।
प्र० । श्रमण सूत्र पढ़ने वाले और श्रावक सूत्र पढने वाले किन्हे कहते हैं ?
उ० जो श्रावक, प्रतिक्रमण मे 'पगामसिज्जाए' आदि पाँच पाठ पढे, उन्हे श्रमण सूत्र पढने वाले कहते हैं तथा जो इन स्थानो पर आगमे तिविहे, दसण सम्मत्त, बारह व्रत अतिचार सहित, (बडी) सलेखना, समुच्चय का पाठ, अट्ठारह पाप (इच्छामि ठामि) व तस्स धम्मस्स का पाठ पढते हैं, उन्हे श्रावक सूत्र पढने वाले कहते है ।
प्र० । प्रतिक्रमण मे कौन से श्रावक श्रमरण सूत्र पढते हैं और कौन नहीं पढते है ?
उ० . मारवाड की सम्प्रदाय, पञ्जाब की सम्प्रदाये, और गुजरात की दरियापुरी सम्प्रदाय के श्रावक, प्रतिक्रमण मे श्रमण सूत्र बोलते नही है।
___ काठियावाड गुजरात की मव छह कोटि सप्रदाये, मालवा के पूज्य धर्मदासजी को सप्रदाय, मारवाड के पूज्य ज्ञानचन्दजी की सप्रदाय, मालवा तथा दक्षिण को ऋपि सम्प्रदाय के श्रावक प्रतिक्रमण मे श्रमणमूत्र बोलते है।
~धी के० तुरखिया.