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सूत्र-विभाग-२५. 'श्रमण सूत्र' चर्चा [ १४३ उपकरण अर्थात् जीवरक्षा और सयमरक्षा आदि का साधन ' माना गया है, उस मान्यता मे आपत्ति पहुँचेगी। अत थूक से मनुष्य सम्मूच्छिम जीवोत्पत्ति का पक्ष सगत नहीं लगता।
२ दूसरे मे जब सूत्रकार ने मनुप्य समूच्छिम जीवो की उत्पत्ति के स्थान बताते हुए नाक का सेडा मुख का श्लेष्म आदि, जो थूक की अपेक्षा कम और देरी से होते है, उन्हे भी बताया है। रज-वीर्य के सयोग और नगर की नालियो मे भी मनुष्य समूच्छिम पैदा होते है, इतनी स्पष्टता को है, तो यदि थूक से मनुष्य समूच्छिम जीवोत्पत्ति होती, तो वे अवश्य ही थू क मे उनकी उत्पत्ति का कथन करते। क्योकि थूक अधिक और शीघ्र होता है और मुखवस्त्रिका पर लगने की अपेक्षा वह विशेष सावधानी का विषय भी बन जाता है। पर उन्होने कथन नहीं किया, इस कारण भी उक्त पक्ष वास्तविक नही लगता।
पाठ २५ पच्चीसवा 'श्रमण सूत्र' चर्चा
प्र० श्रमण सूत्र किसे कहते है ?
उ० १. इच्छामि ण भते २ नमस्कारमत्र ३. करेमि भंते ४. चतारि मगलं ५ इच्छामि ठाएमि (पडिक्कमिउ) ६ इच्छाकारेणं (इरियावहियाए) ७ पगामसिज्जाए ८ रोगग्ग-चारयाए, चाउकाल मज्झयिस्स १०. तैतीस