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१०४ ] सुवोध जैन पाठमाला-भाग २
प्र० पौपध के कितने प्रकार है ?
उ० : दो प्रकार है-१ प्रतिपूर्ण और २ देश। जिसमें चारो आहार सर्वथा छोडे जायँ, वह 'प्रतिपूर्ण पौषध' है तथा जिसमे पानाहार या चारो आहार किये जायँ, वह 'देश पौषध' है।
प्र० वर्तमान मे देश पौषध को क्या कहते है ?
उ० • जिममे मात्र पानी पीया जाता है, ऐसे तिविहार उपवासयुक्त को दसवाँ (यह 'देश' का अपभ्रश दिखता है) पौषध कहते है। जिसमे चारो आहार किये जाते है, ऐसे दिन के या दिन रात्रि के पौषध को दया कहते है। जिसमे चारो ग्राहार किये जाते है, ऐसे रात्रि के पौषध को संवर कहते है।
प्र० : पाठ प्रहर से कम पौपध करने वाले का और दया रूप पौषध करने वालो का शास्त्रीय उदाहरण दीजिए।
उ० जेसे 'गखजी' ने प्रारम्भ मे आठ प्रहर से कम का पौषध ग्रहण किया था तथा पृष्कली श्रादि ने खाते पीते पाठ प्रहर से कम का पौपध किया था।
प्र० पानी पीकर देश (दसवां) पौषध करने वाले को क्या पाठ वोलना चाहिए ?
उ० • 'करेमि, भंते । देस पोसहं, असरणं, खाइमं साइसं का पच्चवखारण कहकर 'अवभ सेवण का पच्चक्खाण' प्रादि गेप पाठ प्रतिपूर्ण पौषध के समान कहना चाहिए।