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________________ सूत्र-विभाग-१८ 'पोषध व्रत' प्रश्नोत्तरी [ १०३ ३. अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-: उच्चार-प्रश्रवण की भूमि न उच्चार-पासवरण-भूमि देखी(न प्रतिलेखी)हो या अच्छी तरह (विधि से) न देखी हो अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय : पूंजी न हो या अच्छी तरह उच्चारण-पासवरण-भूमि (विधि से) पूंजी न हो। पोसहस्स सम्म : उपवासयुक्त पौषध का सम्यक अरगणुपालगया प्रकार से पालन न किया हो । जो मे देवसिनो अइयारो को इन अतिचारो मे से मुझे जो कोई दिन सबधी अतिचार लगा हो, तो तरस मिच्छा मि दुवकडं । 'पौषध व्रत प्रश्नोत्तरी प्र०: पौषधमे १ आहार, २ अब्रह्म, ३ शरीर-सत्कार और ४. सावद्ययोग्य-ये चारो बोल छोड़ना आवश्यक है क्या? उ० आहार को छोडकर शेष तीनो बोल छोडना आवश्यक हैं। आहार मे चारो आहार छोडे भी जा सकते है, तीनो आहार भी छोडे जा सकते है कदाचित् चारो आहार किये भी जा सकते हैं। प्र० पौषध का न्यूनतम काल कितना है ? उ० (उत्तराध्ययन सूत्र के अनुसार) न्यूनतम काल चार प्रहर है। चार प्रहर रात्रि के भी हो सकते हैं, तथा दिन के भी हो सकते हैं, पर आहार-त्याग के चार प्रहर केवल दिन के नही हो सकते। अर्थात् दिन को आहार न करके रात्रि भोजन करे। ऐसा नही हो सकता।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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