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१०० ] सुबोध जन पाठमाला--भाग २ नगर मे भी अपने घर दुकान या नौकरी के स्थान से अन्य स्थलों पर नही जाऊँगा (दिग्वत), 'पच्चीस द्रव्य' से उपरांत नही लगाऊँगा'-इत्यादि जो द्रव्यादि उपभोग-परिभोग पदार्थो की मर्यादा की है, उन्हे घटाकर आज १०. आदि से अधिक द्रव्य भोग मे नही लंगा। अमुक परिमाण मेग्राय हो जाने के पश्चात् कर्म या व्यापार नहीं करूँगा (उपभोग परिभोग व्रत) देवादि के लिए अर्थदण्ड भी नहीं करूँगा (अनर्थ दण्ड व्रत), इत्यादि मकार से प्रतिदिन आठ व्रतो का सक्षेप किया जा सकता है।
प्र० . वर्तमान मे व्रत सक्षेप केसे किया जाता है ?
उ० : वर्तमान मे चौदह नियमो से कुछ व्रतो का प्रतिदिन सक्षेप किया जाता है। वे नियम इस प्रकार हैं .
१. सचित्त-पृथ्वीकायादि की मर्यादा। २. द्रव्य--- खान-पान सम्बन्धी द्रव्यो की मर्यादा । ३. विगयकी मर्यादा। ४. पन्नी-पगरखी आदि की मर्यादा । ५ ताम्बूल-मुखवास की मर्यादा । ६. वस्त्र की मर्यादा । ७. कुसुम-पुष्प, इत्र की मर्यादा । ८ वाहन-की मर्यादा। ६. शयन-योग्य पदार्थों की मर्यादा। १०. विलेपन-द्रव्यो की मर्यादा। ११ ब्रह्मचर्य की अधिक मर्यादा। १२ दिगदिशा की अधिक मर्यादा। १३. स्नान-की संख्या और जल की मर्यादा। १४ भक्त--एक बार, दो वार आदि भोजन की मर्यादा। इन चौदह वोलो मे ११वे वोल से चौथे व्रत का, १२वे वोल से छठे व्रत का और शेप वोलो से सातवें व्रत का सक्षेप किया जाता है।
कई श्रावक १. असि (खड्ग), २. मपी (स्याही) और कृपि (खेती) की भी मर्यादा करते है, अर्थात् मैं इतनी प्राय हो । जाने के पश्चात्, १. मूल वस्तुयो से नई वस्तुयो का निर्माण या