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________________ सूत्र - विभाग - १४. 'उपभोग परिभोग व्रत प्रश्नोत्तरी' [ ८५ यन्त्रो के काम को । जैसे गाडी श्रादि वाहन के, हलादि खेती के, चर्खे श्रादि उत्पादन के, इत्यादि प्रकार के यन्त्रो को बनाना, खरीदना, बेचना । · प्र० : ४ भाडीकम्मे ( भाटीकर्म) के उदाहरण दीजिए । उ० : जैसे दासादि मनुष्य, बैलादि पशु, घर, यन्त्र आदि भाडा लेकर देना । भाडे के लिए घर आदि बनाना, भाडा लेकर माल का स्थानान्तरण करना आदि । प्र०. ५. फोडी कम्मे (स्फोटी कर्म ) किसे कहते हैं ? उ० : जिसमे पृथ्वीकाय का और उसके आश्रित जीवो का महारभ हो - ऐसे काम को । जैसे हल से भूमि फोडना ( खेती करना), कुदालादि से मिट्टी, पत्थर, लोहा, आदि निकालना, पत्थर आदि घडना, जलाशय के लिए या पेट्रोल आदि के लिए या सडके बनाने के लिए पृथ्वी खोदना श्रादि । प्र० : ६. दत वाणिज्जे (दन्तवारिणज्य ) किसे कहते है ? उ० : त्रसकायिक जीवो के अवयवो का व्यापार करने को । जैसे दाँत, शख, केश, चमडा आदि खरीदना बेचना । По ७. लवखवाणिज्जे ( लाक्षा वाणिज्य ) किसे कहते हैं ? उ० : जिसमे त्रस जीवो की बहुत विराधना हो - ऐसा व्यापार करने को । जैसे लाख, चपड़ी, अधिक काल का धान्य आदि का क्रय-विक्रय करना । प्र० : ८. रसवाणिज्जे ( रस वाणिज्य) किसे कहते है ? '
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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