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पाठ १७-इच्छाकारेण प्रश्नोत्तरी [६७
विराधना के १० प्रकार १. अभिहया-सम्मुख आते हो पर पैर पड गया हो या उन्हें हाथ से उठा कर दूर फेक दिये हो। २. वत्तिया:धूल आदि से ढंके हों। ३. लेसियामसले हों (भूमि पर रगडे हों)। ४ संघाइया=इकट्ठे किये हों। ५ संघट्टिया= छुए हो। ६ परियाविया=परिताप (कष्ट) पहुँचाया हो। ७. किलामिया =मरे हुए जैसे कर दिये हो। ८ उद्दविया भयभीत किये हो। ६ ठारणाओ=एक स्थान से, ठाणं अन्य स्थान पर । संकामिया-डाले हों। १० जीवियाओ=जीवन से, ववरोविया रहित किये हों। तो,
प्रतिक्रमण तस्स-उनका। मि= मेरा। दुक्कडं दुष्कृत (पाप)। मिच्छा-मिथ्या (निष्फल) हो।
पाठ १७ सत्रहवा 'इत्त्वाकारणं' प्रश्नोत्तरी
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प्र० : 'इच्छाकारेण' सामायिक का कौनसा पाठ है ? उ० . तीसरा पाठ है। प्र० : यह पाठ कब बोला जाता है ? उ० • सामायिक लेते समय तिक्त्तो से वन्दना करके तथा , सामायिक पालते समय सीधे नमस्कार मन्त्र, पढ़ने के