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पाठ १ --करेमि भते प्रश्नोत्तरी [ ३७ प्र० : वोसिराने का अर्थ क्या है ? उ० छोडना, त्यागना । प्र० पापी आत्मा और धर्मी आत्मा-इस प्रकार क्या एक ही
जीव की दो प्रात्माएँ होती है ? उ० . प्रत्येक की यात्मा एक ही होती है, परन्तु जब आत्मा
पाप की भावना और पाप की क्रिया करती है, तब वह पापी आत्मा कहलाती है और जब आत्मा धर्म की भावना और धर्म की क्रिया करता है, तव वही आत्मा धर्मी आत्मा कहलाती है। पापी आत्मा को वोसिराने
का अर्थ है -पाप-भावना और पाप-क्रिया छोडना । प्र० क्या घर, व्यापार, समाज, राज्य आदि सवका कार्य
करते हुए सामायिक नही हो सकती? उ० . सामायिक मे केवल अनुमोदन की ही कोटि खुली रहती
है, शेष रही कोटियो से हिंसा आदि सभी पापो को पूर्ण रूप से त्यागना पडता है। घर, व्यापार, समाज आदि के काम करते हए मोटीमोटी हिसा आदि पाप ही छूट पाते है, परन्तु सम्पूर्ण हिंसा आदि पाप नही छूट पाते। अत उस समय सामायिक नही हो सकती। हाँ, उस समय मोटी हिंसा आदि पापो से छूटने के लिए अहिंसा आदि पॉच अणुव्रत तथा दिग्व्रत आदि तीन गुरगवत धारण करने चाहिएं। उनसे सामायिक की अपेक्षा कम, किन्तु खुले की अपेक्षा बहुत समभाव की
प्राप्ति होती है। प्र० : सामायिक के लिए प्रत्याख्यान (प्रतिज्ञा) आवश्यक
क्यो है ?