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जैन सुबोध पाठमाला - भाग १
प्र० : भन्ते । ( आचार्य श्री को सम्बोधन ) नमस्कार मंत्र तथा जीव-जीव आदि पर श्रद्धा रखने वाला क्या कहलाता है ?
जैन ।
उ० :
प्र० : जैन किसे कहते है ?
उ० : जो जिन भगवान द्वारा बताये हुए धर्म पर श्रद्धा रखता हो, पालन करता हो ।
प्र० : 'जिन' किन्हे कहते हैं ?
उ० : अज्ञान, निद्रा, मिथ्यात्व, राग, द्वेष, अन्तराय - ये हमारी आत्मा के 'अरि' = शत्रु है | इन्हे जिन्होंने 'हन्त' = नष्ट कर दिये हैं, वे अहित कहलाते हैं । आत्मा के शत्रु पर विजय पाने के कारण अरिहंत को जिन कहा जाता है ।
प्र० :
धर्म किसे कहते है
उ० : जो जीवो को दुर्गति मे पडते हुए बचावे तथा सुगति मे ले जावे, उसे धर्म कहते है ।
प्र०. धर्म क्या है ?
उ० : १. सम्यग् ज्ञान, २ सम्यग् दर्शन, ३. सम्यक् चारित्र तथा ४ सम्यक् तप ।
प्र० : ज्ञान किसे कहते हैं ?
उ० : भगवान् द्वारा बनाये हुए जीव-ग्रजीव यादि नव तत्वो
का ज्ञान करना ।
प्र० :
उ०
.
प्र० :
उ०
?
दर्शन किसे कहते है
अरिहत द्वारा बताये हुए तत्वो पर श्रद्धा रखना ।
?
चारित्र किसे कहते है ?
महाव्रत या
व्रतादि का पालन करना ।