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जैन सुबोध पाठमाला--भाग १
१. छोटी बहू : रोहिणी
परिचय
पुराने समय की बात है। 'राजगृह' नामक नगर में 'धन्य' (धन्ना) नामक सार्थवाह (परदेश मे व्यापार के लिए जाते हुए साथ मे चलने वाले लोगो को पालने वाला) रहता था। उसके १. धनपाल, २ धनदेव, ३ धनगोप और ४.धनरक्ष-ये चार पुत्र थे । उन चारो पुत्रो की क्रमगं ये चार पुत्र-वधुएँ थी१. उज्झिता ( फेकने वाली ), २ भोगवती ( भागने वाली ), ३. रक्षिता ( रक्षा करने वाली ) और ४ रोहिणी ( बढाने वाली)।
परीक्षा-विचार
धन्ना सार्थवाह को एक बार पिछली रात्रि को कुटुम्ब के विषय मे सोचते हुए यह विचार आया कि-'(मेरे ये चारो पुत्र अयोग्य है, इनसे मेरे कुल का काम नहीं चल सकेगा, अत) इन चारो पुत्र-वधुओ की परीक्षा लं, जिससे जानकारी हो जाय कि, मेरे यहाँ न रहने पर या असमर्थ हो जाने पर या काल कर जाने पर मेरे कुल का काम कौन चला सकेगी ?'
पाँच शालि का प्रदान
दूसरे दिन उन्होने अपने परिवार को, जातिवालो को, मित्रों को और बहनो के पीहरवालो को निमन्त्रण दिया। उनको भोजन देने के पश्चात् जब वे कुछ विश्राम कर चुके तक उन सभी के सामने १. सबसे बडी बहू उज्झिता को बुलाया