________________
२६० ]
जैन सुवोध पाठमाला - भाग १
८. श्री सुबाहु-कुमार (मुनि)
परिचय
'हस्तिशीर्ष' नामक नगर मे 'प्रदोनशत्रु' नामक राजा राज्य करते थे । उनको 'धारिणी' नामक रानी थी। उस रानी को रात्रि मे 'सिंह स्वप्न' आया । ६ मास र साढे सात ( कुछ अधिक सात ) रात के पश्चात् एक पुत्र जन्मा । उसका नाम 'सुबाहुकुमार' रक्खा गया । राजा-रानी ने क्रमश उसे ७२ कलाएँ सिखाई और उसका ५०० राजकन्याग्रो से लग्न किया । वह रानियो के साथ राजप्रासाद मे मुखपूर्वक रहने लगा ।
समवसरण में
एक बार उस नगर के ईशान कोण मे रहे 'पुष्पकरंडक' नामक उद्यान मे भगवान् महावीरस्वामी पधारे। लोगो को उनके दर्शनार्थ वडे समूह से जाते देखकर सुवाहुकुमार ने कचुकी (अंतपुर के सेवक ) को बुलाकर पूछा कि - 'ये लोग आज इतने बडे समूह से कहाँ जा रहे हैं ?' कचुकी ने उत्तर में कहा'भगवान् पधारे हैं, इसलिए लोग बडे समूह से उनके दर्शन करने, उन्हे वन्दन करने व उनकी वाणी सुनने के लिए जा रहे हैं ।' सुवाहु भी इस समाचार को पाकर भगवान् के दर्शन आदि के लिए भगवान् के समवसरण मे पहुँचे ।
-
धर्म-कथा
भगवान् ने सुवाहुकुमार यादि वहुत बडी सभा को विस्तार से धर्म - कथा सुनाई। सबसे पहले भगवान् ने १ ग्रास्तिकता का