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________________ कथा विभाग-६ श्री काभदेव श्रावक [२४१ शिक्षाएँ १. सच्चे भगवान् (देव) अरिहत ही हैं। २. अरिहंत के भक्त को किसी से भय नहीं । ३. घृरणा मत करो, उद्धार में सहायक बनो। ४, पश्चात्ताप और तप से पापी भी मोक्ष पाते हैं । ५. अधर्मों अौर धर्म-त्यागी इस लोक में भी दुःख पाता है। प्रश्न १ कुदेव-श्रद्धा और सुदेव-श्रद्धा के फल में अन्तर बतायो । २. कुदेव-श्रद्धा से अर्जुनमाली का पतन कैसे हुमा ? ३. सुदेव-श्रद्धा से सुदर्शन को रक्षा और अर्जुनमाली कर उज्यान कैसे हुमा ४: सिद्ध कसे कि 'अर्जुनमाली आदर्श क्षमावातू थे।' ५. पापी से घरमा करें या नहीं ? ६.श्री कामदेव श्रावक परिचय चम्पानगरी मे 'कामदेव' नामक बहुत प्रतिष्ठित सर्वमान्य सेठ रहते थे। उनकी 'भद्रा' नामक सुरूपा भार्या (पत्नी) थी। उनके कई छोटे-बड़े संयोग्य पुत्र भी थे। पत्नी और पुत्र सभी
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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