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, जैन सुवोध पाठमाला-भाग १
प्रश्न
१ वसुपति का नाम चन्दनवाला क्यों पडा ? २. चन्दनवालाजी को क्या-क्या कण्ट पाये ? ३. भगवान् महावीरस्वामी को क्या अभिग्रह था ? ४ चन्दनबालाजी के दुःख का अन्त कंसे हुआ ? ५ श्री चन्दनवालाजी से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं ?
४. श्री मंघ-कमार (मुनि)
माता-पिता आदि
मग धदेश और 'राजगृह' के महागजा 'श्रेणिक' के __ 'धारिणी' नामक एक रानी थी। शरीर, इन्द्रिय और मन के
अनुकूल शय्या पर आधी नीद लेती हुई उस महारानी को किसी रात्रि की पिछली घडियो में एक ऐसा स्वप्न पाया कि-'एक सुन्दर सुडौल 'हाथी' प्राकाग से उतर कर लीला के साथ मेरे मुख मे प्रवेश कर गया।' पञ्चात् वह जाग गई।
उसने यह स्वप्न अपने पति को जाकर सुनाया। गजा ने कहा- 'तुम्हे एक कुलीन और भविष्य मे राजा बनने वाला पुत्र प्राप्त होगा।' यह सुनकर रानी को हर्ष हुआ। उसने स्वप्न-जागरण किया।
प्रातकाल स्वप्न-पाठको (स्वप्न के फल बतलाने वालो) को पूछने पर उन्होने कहा-'रानी को एक कुलीन और भविष्य