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कथा-विभाग-१. भगवान् महावीर १ २२२ [ १६१ नाम वाली राज-कन्या से पाणिग्रहण किया। कुछ काल के पश्चात् उनके एक पुत्री का जन्म हुअा। उसका नाम 'प्रियदर्शना' रक्खा गया। भविष्य मे उसका जमाली नामक अत्रिय पुत्र के साथ विवाह किया गया।
माता-पिता का स्वर्गवास
। भगवान् महावीर स्वामी अट्ठावीस वर्ष के हुए, तब की बात है-उनके माता-पिता भगवान् पार्श्वनाथ के मानने वाले श्रावक-श्रविका थे। उस समय उन्होंने अन्तिम समय जानकर सथारा सलेखना करके अनशन किया ३ काल करके वे बारहवे देवलोक में उत्पन्न हुए। वहाँ से वे मनुष्य बनकर दीक्षा लेकर सिद्ध होगे।
- भगवान के सुपार्श्व नामक काका थे । नन्दिवर्वन नामक __ सगे बड़े भाई थे और सुदर्शना, नामक सगी बडीं बहन थी। ये
और अन्य सभी जाति,मित्र आदि सिद्धार्थ राजा और त्रिशला रानी के स्वर्गवासी हो जाने पर बहुत शोकाकुल हुए। तब भगवान् ने स्वय शान्ति रक्खी और सभी करे धैर्घ दिलाया।
राजपद अस्वीकार माता-पिता के स्वर्गवास के पश्चात् नन्दिवर्धन ने भगवान् से कहा-'पिता का राज-भार तुम स्वीकार करो। तुम बुद्धिमान, बलवान और सर्वगुण सम्पन्न हो । अतः राज्य तुम्हे ही करना चाहिए।' तब राज्यादि के निस्पृही भगवान् ने उन्हें कहा-'राज नियम के अनुसार वडा भाई ही राज्य करता है, अत तुम्ही राज्य करो।' जब अन्त तक भगवान् राजा बनने के लिए तैयार नहीं हुए, तो मन्दिवर्धन को राजा बनना पडा।