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तत्त्व विभाग-चौदवा बोल : 'छोटी नव तत्व के ११५ भेद' [ ११९ धर्मास्तिकाय के तीन भेद -१. स्कंध ३. स्कघदेश और ३. स्कंध प्रदेश। अधर्मास्तिकाय के तीन भेद-१. स्कंध २. स्कंधदेश
और ३ स्कंध प्रदेश। आकाशास्तिकाय के तीन भेद--१. स्कंध २. स्कंधदेश और ३. स्कंध प्रदेश । ये नव (३+३+३=8) तथा दसवाँ काल। ये अरूपी अजीव के दस भेद जानना। रूपो पुद्गलास्तिकाय के चार भेद-१. स्कघ २. स्कध देश ३. स्कध प्रदेश और ४ परमाणु। ये कुल चौदह भेद हुए।
अस्तिकाय : सम्पूर्ण प्रदेशो का समूह। स्कंध . परस्पर जुडा हुआ प्रदेशो का अखण्ड समूह ।
स्कघदेश : स्कध में बुद्धि से कल्पित सविभाग भाग जिसका और भी भाग हो सके-ऐसा भाग। कही-कहीं निविभाग भाग जिसका और भाग न हो सके, उसे भी स्कधदेश माना गया है।
स्कधप्रदेश : स्कध मे बुद्धि से कल्पित निविभाग भाग, सबसे छोटा भाग, जिसका और भाग न हो सके।
परमाणु : रकध मे न जुडा हुआ, सबसे छोटा द्रव्य ।
३ पुण्य तत्व के ६ भेद पुष्य : १. जो आत्मा को पवित्र करे, उसे पुण्य कहते है।
२ आत्मा के अन्न-दानादि शुभ परिणाम। ३ मनवचन-काया के अन्नदान आदि शुभ योग। ४ उन दोनो के द्वारा आत्मा के साथ बंधे हुए शुभ प्रकृति वाले उज्ज्वल कर्म-पुद्गल तथा ५ उन पुण्यकर्मों के फल 'पुण्य' है। पुण्य का मधुर फल भोगना बहुत सरल है, किन्तु उसका उपार्जन करना बहुत कठिन है। पुण्य धर्म