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बाम बीर मार्गणाओं काही योग्य समन्वय बसाया गया है। सन में द्रव्यवेद कहीं पर पाया नहीं है। इस निये प्रतिशत कम गईन पति में द्रष्यवेदों का नामोल्लेख किया नहीं जा सकता है।
इस कथन से-पट बण्डागम में यदि द्रव्यवेद का प्रथम होमो स्त्रों में व्यबरे का उन्लेख होता-इस शंका और समझ का निरसन हो जाता है।
फिर वह शंका और पड़ जाती है कि जब द्रव्यवेद का सूत्रों में नामोल्लेख नहीं है तब उसकी विवक्षा से उन में कथन भी
स भाववेद विवक्षा संही कथन इस शंका का निरसनांचवें नाक से किया गया है।
पांच कोक का अर्थ है
गति, इन्द्रिय काय योग हन मागणामों में ओ गुणस्थानों का समन्वय बताया गया वह द्रव्य शरीरों के माधार से ही बवाचा गया है। बिना द्रव्य शरीरों की विवक्षा किये यह मायन का ही नहीं सकता है और द्रव्य शरीर हो य बेद का अपर पर्याय द्रव्य शरीर और दृष्य दोनों का एकही । इस से यह बात सिद्ध हो जाती है कि दम्पवेद का सत्रों में नामो मोरी होने पर भी सन यान पारित नि में पाबन गर्भित हो पाता।मत एव व्योरी विद्यापति भार बोगों के मन में की गई।
पठे शखोकन वर्षलेकि.. बोपगोबाचार सबभाराय है सीमनुसार