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है। वह शरीर का ही एक उशंग , वह बाल जाता है यह प्रशस्य बात है। भले ही अंगुली आदि के समान वह भी काटा जा सकता है परन्तु योद बदल नही सकता, इस मम्स में एक प्रसिद्ध उदाहरगा जो फनटग निवासी श्रीमान मंठ तिलकचंद वगाव शाह कोनने मयं अपन॥ श्राग्वांग रचा है हमें अभी कवलाना में इम टूट का मुनात ममय बताया है उसे हम पहt प्रगट कर देने हैं-कोरेगांव (शोलापुर) में एक गोदावरी नाम को वामगा कन्या थी. उसका एक बर क माथ विवाह हा गया तब अनेक विकल्प बड़े होने में घर वालों ने जांच कराई, मालम हुमा कि उसके कोई चिम नहीं है किन्तु एक दिन है जिसमे लघु-शा होती है। डाक्टर में पापरेशन कराया गया, ऊपर की स्वचा निकाल जाने में इसके पुरुषगि प्रगट हा गया। फिर उस गोदावरी का नाम गोपालराव पड़ा। भोर किमी कन्या के साथ उसका विवाह भी हो गया है. वह भी मौजूद है।
पं० फूलपन जी शास्त्री के मन में तो उमका व्यजिंग बरन गया समझना चाहिये। गोदावरी में गोपालगव नाम भी बदल गया है। परन्तु बात हम विपरीत है ! बाम्नव में निग नहीं बरला है, पुरुषलिंग उत्पत्ति से हो था परन्तु रचना विशेष से ऊपर स्वचामा जाने में वह व्यनिग लिग हुमा था । भापरेशन (नीरा जगने से होने बह दम्याचमा प्रगट हो गया। __ जिन्हें सन्देह होवे कोरेगांव बाकर उस मोपालराव को अभी देख सकते है। इसी प्रकार के निमित्तों से पात्रकल द्रव्यबेर