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मनुष्यात क्या चीज है। यदि वह, भावकी द्रव्य मनुष्य है । तो इस कथन और उसके गुणस्थानों का उल्लेख जब द्रव्यपुरुष में माती आयगा फिर यह शहा समाधान क्या प्राकाश में उड़ती हुई विडिया के लिये हुमा१" इस प्रश्न के सर में इतना करना ही पर्वात है कि यदि द्रव्य पुरुष के साथ येवल भावकी का है। समान्यता ना तो पृथक र वर्णन मोर का समाधान नहीं करना पड़ता उसी में पन्त भूत हो जाता। परन्तु वहां तो दृश्यपर साब कमी भावपुरुष कभी भावनी, कभी भाव नपुसक ऐसे तीन विकल्प बने हुये है. इसमय उनको भित्र २ शिक्षा से मित्र निरूपण करना पागों को भावश्यक होगया। परन्तु १२-१३ सत्रों में बहीन विकल्प नहीं है हालीवेक जय की अपेक्षा है। यदि वहां उन सूत्रों को भाववेद-प्रधान माना जायगा तो दृष्य पुरुष साथ प्राण होगा. पोर -६०-६१ सों में मिल जायगा यह शापादयस्थ राताहै।
भागे सोनी की ने हमसे दूसरा प्रश्न किया। वह एक विचारबीचकोटि बोलते हैं कि "परित जी! जिनका शरोर गिifcakो -.-१सत्र में मा गये और जिन का शरीर बोम्बा १२-१३ सत्र में हो गई पतः
पापा से किसमें प्रविश जिनब शरीरaanifa और नafaat सिविलोमोचिन विशेष है। वाटसरगमकार की गती वेनर