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________________ ३० द्वितीय स्थूल मृषावाद विरमण व्रत. मारी पासें तमो थापण की गया ते संबंधीनो को मारा हाथ नोलखेलो दस्तावेज ? अथवा कोश्सादीले? बीजाजेकोश्थाप ण कोश्ने घेर मूके बे,तेनी पासेंथी लखावी करीने राखे बे. एबुंकही तेने दवावी पाडवानी युक्ति रचे, ने विचारे के हुँ नगरमा मात वर वं. ने एतो आव्यो गयो परदेशी जे. एनी कोण पद खेंचशे ! मारी मरजी तोडीने एनी तरफ कोण बोलशे! एवी अव्यनी चीज शा वास्ते बोडीएं!! अने हुँ मारीश्रकलथी वधाने जवाव आपीश. कोश्ना पण दाव पेचमा हुँ नहीं श्रावीश. एवा कुविचारमा पडे.एट लमा पेलो थापण मूकनारावीने मागे के ना! मारो माल श्रापो. ते वखतें तेने गुस्सो करीने कहे के ना!माल केवो? अने तमे कोने सोंप्यो ? आते गुंबोलोगे वारु श्राते कांठीक कदेवाय? अमें तम ने उलखता पण नथी,के तमे कोणगे?नोलपणमाकोश्ने त्यां मूक्यो होय तो त्यां तेनी तजवीज करो. अमे तो परिचय उलखाण विना कोश्नी थापण राखता पण नथी. तेमां तमे तोवली परदेशी बो,तो तमारीचीज शा वास्ते राखियें? एटती तेनीवात सांजलीने थापण मूकवा वालो कहे के,अरे साहेव ! हुं देवावालो,ने तमे लेवावाला. आपण वंने जीवता वैएं.कांघणां वरस पण थयां नथी. चार पांच मास थयां तमारा पासें चीज मूकी. तो एटली थोडी मुदतमां तमे आवा शाहुकार थश्ने, आम जीवती माखी गलवा जेवी वात करोगे ते वात सारी नथी. जूठा ऊगडामां सारं नथी. एम करतां वनेने कजी थयो, ने वढवा लाग्या. शाहुकार, पोताना नाश्वं धोने कहके,श्रादगाखोर गले पमुने कोश्समजावो.पठी कहेशे कह्यु नहीं. नहिंतो वहु दिवस याद करशे, एवी तस्दी पामशे. त्यार पठी समजरो, आज पठी कोश् साथें जूठो ऊगडो न करे,ते माटे एने स मजावो. नहीं तो पठी फोजदारीमा मोकली दीयो, अमारी पासें थीसहऽव्य के चीजगणीने लेवा करतांएटलुकहेवाथीजोसमजी
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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