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सञ्चालकीय निवेदन
पुरोवचन
व्याख्यान पहला
प्राचार्य हरिभद्र के जीवन की रूपरेखा :
व्याख्यान दूसरा
जन्मस्थान ५; माता-पिता ७, समय ८ भवविरह १३, पोरवाल जाति की स्थापना १६
व्याख्यान तीसरा
अनुक्रमणिका
दर्शन एवं योग के सम्भवित उद्भवस्थान- उनका प्रसार
गुजरात के साथ उनका सम्बन्ध-उनके विकास में हरिभद्रसूरि का स्थान :
व्याख्यान चौथा
उद्भवस्थान १७ ; प्रसार २६, गुजरात के साथ सम्वन्ध २६, श्राचार्य हरिभद्र का स्थान ३५; समत्व ३५; तुलना ३५, बहुमानवृत्ति ३६; स्वपरम्परा को भी नई दृष्टि और नई भेंट ३६, अन्तर मिटाने का कौशल ३६
दार्शनिक परम्परा में प्राचार्य हरिभद्र की विशेषता : पड्दर्शनसमुच्चय ४०; शास्त्रवार्तासमुच्चय ४६
व्याख्यान पाँचवाँ
योग - परम्परा मे आचार्य हरिभद्र की विशेषता - १ योगशतक ७३, योगविशिका ७६
परिशिष्ट १
परिशिष्ट २
शब्दसूची शुद्धिपत्रक
योग - परम्परा मे आचार्य हरिभद्र की विशेषता - २ योगदृष्टिसमुच्चय और योगबिन्दु ८०, उपसहार १०५
विद्याभ्यास १०,
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